मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग ‘मुहावरे’ मूलतः अरबी शब्द है। अरबी में इसे ‘महाविरा’ कहते है, जिसका सीधा-सादा शाब्दिक अर्थ है – “आप की बातचीत और सवाल जबाव करना” किसी भी भाषा के प्रयोग की जान मुहावरे ही होते हैं।
- आँखें खुलना (होश आना) अध्ययन भी एक तपस्या है जब ही आँखे खुले तभी सवेरा समझे।
- आँखें दिखाना (क्रोध करना) – ट्रेन में गुंडों ने आँखें दिखाकर यात्रियों की घड़ियाँ और मोबाइल छीन ली।
- आँखें चार होना (दोनों एक-दूसरे को देखना) -आजकल तो युवक-युवतियों की आँखें चार होते ही गड़बड़ शुरू हो जाता है।
- आँखों का तारा (बहुत ही प्यारा ) पुत्र पिता की आँखों का तारा होता है।
- आग में घी डालना (क्रोध को भड़काना) – अक्सर ऐसा पाया जाता है कि दो गुटों के लड़ाई में कुछ लोग आग में घी डालने का काम करते हैं।
- अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि से काम न लेना) पढ़ाई में मन नहीं लगाना तो अक्ल पर पत्थर पड़ जाना ही है।
- अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब निकालना) अपना उल्लू सीधाकर पुत्र बूढ़े माता-पिता को भूल जाते हैं।
- अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारना (अपनी हानि स्वयं करना) – पूरे वर्ष पढ़ाई नहीं करना अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारने के समान है।
- आँखें बिछाना (बहुत आदर-सम्मान करना) भारतीय अपने अतिथियों का आँखें बिछाकर स्वागत करते हैं।
- अँगूठा दिखाना (समय पड़ने पर मना कर देना) – पुरानी बिहार की सरकारों ने जनता को खूब अँगूठा दिखाया। नई सरकार ठीक
काम कर रही है।
- अक्ल का दुश्मन (मूर्ख व्यक्ति)- शिक्षक वर्ग में शांति की अपील करते रहे पर एकाध छात्र तो अक्ल के दुश्मन होते ही हैं। वे नहीं मानते।
- अंधे की लाठी (एकमात्र सहारा) – बुढ़ापा में लायक पुत्र ही अंधे की लाठी बन पाता है।
- आकाश-पाताल एक करना (बहुत परिश्रम करना) – आकाश-पाताल एक कर पढ़ने वाले छात्र ऊँची से ऊँची नौकरियाँ सहज
ही पा जाते हैं।
- आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – बिजली लगने पर एक कौवा मर गया। सैकड़ों कौवों ने अब आसमान सिर पर
उठा लिया है।
- आँसू पोंछना (धीरज दिलाना)- सुरेश के पिता का निधन हो गया। रिश्तेदारों ने उसकी आँखें पोछीं।
- आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) अधिकतर नेता मतदाताओं की आँखों में धूल झोंकते रहते हैं करोड़ों रुपए घूस लेकर कोयला चारा घोटाला करते रहते हैं।
- आँखों से गिरना (सम्मान घटना) – अनुत्तीर्ण छात्र शिक्षकों और अभिभावकों की आँखों से गिर जाते हैं।
- ईंट से ईंट बजाना (नष्ट करना) – एक दिन भारत चीन को ईंट से ईंट बजा देगा।
- ईद का चाँद होना (बहुत दिनों के बाद दिखाई देना) – मेरे मित्र ! तुम बहुत दिनों के बाद मिल रहे हो तुम तो ईद का चाँद हो गए थे।
- उँगली पर नचाना (अच्छी तरह वश में करना) संसार भर की पत्नियों की आकांक्षा ही होती है। अपने पतियों को उँगली पर
नचाना।
- उँगली उठाना (दोष निकालना)- हमें किसी दूसरी स्त्री पर उँगली नहीं उठानी चाहिए।
- ऊँट के मुँह में जीरा (अधिक खाने वाले को कम देना) -बढ़ते नौजवान खूब खाते और पचाते हैं। दो रोटी तो उनके लिए ऊँट
के मुँह में जीरे के समान है।
- कलेजा ठंडा होना (संतुष्ट होना) – पड़ोसी देश भारत के भू-भाग पर कब्जा कर अपना कलेजा ठंडा करना चाहते हैं।
- कलेजे पर सॉप लोटना (ईर्ष्या से जलना) भारत की तीव्रगति से प्रगति देखकर अमेरिका के कलेजे पर भी साँप लोटता रहता है।
- कमर कसना (तैयार होना) – परीक्षाओं में उच्चतर अंक लाने के लिए हमें सालों भर कमर कसकर तैयार रहना चाहिए।
- कान काटना (बहुत चालाक होना) – कछुए ने खरगोश के कान प्रतियोगिता में काट लिए। कछुआ जीत गया। खरगोश हार गया।
- कमर बाँधना (तैयार होना) – सीमाओं की रक्षा के लिए भारतीय फौजी, चौबीसों घंटे कमर बाँधकर खड़े रहते हैं।
- कमर टूटना (बहुत निराश हो जाना) बढ़ती महँगाई के कारण मध्य वर्ग के अंतर्गत आनेवाले लोगों की तो कमर ही टूट गयी।
- कलम तोड़ना ( लिखने में कमाल करना) प्रतिभावान, मेधावी और परिश्रमी छात्र कलम तोड़कर लिखते हैं।
- कान पर जूँ न रेंगना (तनिक भी असर न पड़ना) – सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लाख कहने पर भी छात्रों के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगती।
- कान भरना (चुगली करना) मंथरा कैकेयी का कान भरती थी।
- गुदड़ी का लाल (सामान्य स्थान पर गुणी व्यक्ति) – लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री बने। वे गुदड़ी के लाल थे।
- गाल बजाना (डींग हाँकना)- 1- आज के नवयुवक अक्सर गाल बजाया करते हैं। पढ़ाई में मन न लगाकर घुमाई करते हैं।
- गड़े मुर्दे उखाड़ना (बीती बातों को दुहराना) – न्यायालयों में वकील तरह-तरह से गड़े मुर्दे उखाड़ा करते हैं।
- घोड़े बेचकर सोना (गहरी नींद में सोना) – परीक्षाओं के समाप्त हो जाने के बाद छात्र घोड़े बेचकर सोते हैं।
- घड़ों पानी पड़ना (बहुत लज्जित होना)-सिगरेट पीते हुए शेखर को उसके शिक्षकों ने देख लिया। अब उस पर घड़ों पानी पड़
गया।
- घाव पर नमक छिड़कना (दुखी को और दुखी करनेवाली बात कहना) – दुर्घटना में सुरेश के पिता का निधन हो गया। उसके मित्र इस बात को बार-बार याद दिलाकर घाव पर नमक छिड़कते थे।
- घी के दीये जलाना (खुशी मनाना) – रामचंद्रजी के वन से वापस आने पर अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाए।
- चाँदी काटना (आराम से दिन बिताना) – कड़ी मिहनत से पढ़ने वाले छात्र जिन्दगी भर चाँदी काटते हैं। –
- चिराग (दीपक) तले अँधेरा-प्रोफेसर का बच्चा यदि नहीं पढ़े तो इसे क्या कहेंगे? यह चिराग तले अँधेरा नहीं तो और क्या है?
- चार चाँद लगना (प्रतिष्ठा बढ़ना) – हर कक्षा में प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त कर सुरेश ने अपने माता-पिता के यश में चार चाँद लगाया।
- छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) – सन् एकहत्तर के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए।
- छाती पर मूँग दलना (जान बूझकर दुख देना) – मेरा दुश्मन मुझे बार-बार तंग करता है। वह मेरी छाती पर मूँग दलता रहता है।
- छाती पर पत्थर रखना (चुपचाप आपत्ति सहन करना) – भारत छाती पर पत्थर रखकर चीन का घुसपैठ देखता रहता है।
- जमीन पर पैर न पड़ना (अधिक घमंड होना) – परीक्षाओं में सफलता दर सफलता मिलने पर आज के छात्रों के जमीन पर पैर नहीं पड़ते हैं।
- दाँत खट्टे करना (हराना) – भारत को एक बार चीन के भी दाँत खट्टे कर देना है।
- दाल में काला होना (संदेह होना) – कॉंग्रेस जीत जाय तो दाल में कुछ काला ही नजर आएगा।
- दाँत तोड़ना (बुरी तरह पीटना ) – ड्राइवर के बेटे ने अमीर खोखा के दाँत तोड़ दिए।
- दाँत काटी रोटी होना (घनिष्ठ मित्रता होना) पाक-चीन के बीच दाँत काटी रोटी का संबंध हो गया है।
- दो नावों पर सवार होना (किधर का भी न रहना) – हमें एक दिशा में चलना है। दो नावों पर सवार होकर चलने वालों की दुर्दशा होती ही है।
- नाकों चने चबाना (बहुत तंग होना) – बंगलादेश में पाकिस्तानी सैनिकों को नाकों चने चबाने पड़े।
- नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना) – भारतीय फौजियों की चौकसी देखकर चीनी घुसपैठी नौ-दो ग्यारह हो गए।
- नाक कटना (इज्जत जाना) परीक्षा में कम अंक आने के कारण अपनी कक्षा में मेरी नाक ही कट गयी।
- पानी-पानी होना (अत्यंत लज्जित होना) – शिक्षक के देख लेने पर सिगरेट पीता छात्र पानी-पानी हो गया।
55.पाँव उखड़ जाना (हारकर भाग जाना) – सीमा पर भारतीय सैनिकों की मुस्तैदी देखकर दुश्मन घुसपैठियों के पाँव उखड़ गए।
- पीठ दिखाना (हारकर भागना ) – युद्ध में फौजी डटकर लड़ते हैं। वे कभी पीठ दिखाकर भागते नहीं हैं।
- पाँचों अँगुलियाँ घी में होना (लाभ-ही-लाभ होना) – आज मॉल संस्कृति विकसित हो रही है। मॉल/बड़ा बाजार खोलनेवालों की – पाँचों अँगुलियाँ घी में ही रहती है।
- पानी फेरना (समाप्त कर देना) – युवाओं का आवारागर्दी बड़ी रास आती है। वे अपने सुंदर भविष्य पर पानी फेर देते हैं।
- फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – बेटे की सफलता पर माँ फूली नहीं समायी।
- बगलें झाँकना (निरुत्तर हो जाना) – परीक्षा भवन में कमजोर छात्र बगलें झाँकते नजर आते हैं। उन्हें कुछ -उन्हे कुछ सूझता नहीं।
- बाल-बाल बचना (मुश्किल से बचना) – ड्राइवर की सावधनी से मोटर-ट्रक की टक्कर नहीं हुई। बैठे सभी लोग बाल बाल बच गए।
- बाएँ हाथ का खेल (बहुत ही आसान काम)—किसी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विषय पर निबंध लिखना मेरे लिए बाएँ हाथ का खेल है।
- बाजी मारना (आगे निकल जाना) – परीक्षा में प्रतिभावान छात्र बाजी मार ले जाते हैं।
- मुँह की खाना (बुरी तरह हारना ) – भारत – पूर्वी पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान मुँह की खा गया।
- मुँह लगाना (जवाब देना)—अभिभावकों के साथ हमें विनम्रता से पेश आना चाहिए। उनसे हमें मुँह नहीं लगाना चाहिए।
- मुँहतोड़ उत्तर देना (निरुत्तर कर देना) – परीक्षा में छात्रों ने मुँहतोड़ उत्तर दिया।
- मुट्ठी गरम करना (घूस देना) – सरकारी कार्यालयों में मुट्ठी गरम किए कोई काम जल्दी नहीं होता।
- मुट्ठी में होना ( वश में होना) – अपराधियों की हमेशा चलती रहे तो सारी जनता एक दिन उनकी मुट्ठी में होगी ।
- मक्खियाँ मारना (बेकार बैठना) — गाँव के लोग साल में छः माह मक्खियाँ ही मारते रहते हैं।
- लकीर का फकीर होना (पुरानी बातों पर चलना) — कबीर लकीर के फकीर नहीं थे। वे घर फूँक मस्तमौला थे।
- लोहे के चने चबाना (बहुत ही कठिन कार्य करना) – कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को लोहे के चने चबाना पड़ा था।
- लोहा मानना (श्रेष्ठता स्वीकार करना) – मेधावी और तेजस्वी छात्रों का लोहा शिक्षक भी मानते हैं।
- शिकार होना ( मारा जाना) – शेर शिकारी का शिकार हो गया।
- शिकार करना ( मारना) – शिकार करना सबको नहीं आता।
- सिर धुनना ( पछताना) – टिड्डियों के दल ने खेती सफाचट कर दी। अब सिर धुनने से कोई फायदा नहीं ।
- श्रीगणेश करना (आरंभ करना) – शेखर ने अपनी नई किताब की दुकान का श्रीगणेश किया।
- साँप को दूध पिलाना (दुष्ट की रक्षा करना) – चीन के साथ व्यापार करना साँप को दूध पिलाना ही है।
- सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) -स्कूल में छोटे बच्चे पूरा स्कूल सिर पर उठाए रखते हैं।
- सूरज को दीपक दिखाना (बहुत विद्वान् व्यक्ति को कुछ बतलाना ) – गौतम बुद्ध अपना दीपक स्वयं थे। उन्हें समझाना सूरज को दीपक दिखाने के समान था।
- सोने में सुहागा होना (अच्छी चीज का और अच्छा होना) – नरेन्द्र मोदी का मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन जाना देशवासियों के लिए सोने में सुहागा के समान है।
- अपने पैरों पर खड़े होना (स्वावलंबी होना) – हर नवयुवक नवयुवती को यह जानना और समझना है कि उन्हें पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ा होना है।
- कटे पर नमक छिड़कना (दुखी व्यक्ति को और दुखी करना) – शेखर स्वयं परिश्रमी छात्र है। किसी कारण से इस बार फेल हो गया। कटे पर नमक छिड़कने की आवश्यकता नहीं। वह अगली बार पास कर जाएगा।
83 सिर नीचा करना (बेइज्जती करना) – मैट्रिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के कारण शेखर का सिर नीचा हो गया।
- हाथ मलना (पछताना ) – शेर जगली भैंसों के पीछे पड़ा । जंगली भैसे पूरे झुंड के साथ भाग खड़े हुए। शेर हाथ मलता रह गया ।
- हाथ फैलाना (माँगना) – हमें संयम से खर्च करना चाहिए। खुदा न करे कभी किसी के सामने हाथ फैलाना पड़े।
- हाथ-पाँव फूलना (घबरा जाना) – पुलिस को देखकर चोर डाकुओं के हाथ-पाँव फूल उठे।