क्रियाविशेषण-जिस शब्द से क्रिया की विशेषता प्रकट हो, उसे ‘क्रियाविशेषण’ कहते हैं। जैसे—वह धीरे-धीरे पढ़ता है। यहाँ ‘पढ़ता है’ क्रिया है। पढ़ने का काम ‘धीरे-धीरे’ हो रहा है। अतः ‘धीरे-धीरे’ क्रियाविशेषण अव्यय अर्थात अविकारी है, जिसका मूलरूप नहीं बदलता ।
क्रियाविशेषण के भेद
क्रियाविशेषण के मुख्य रूप से पाँच भेद हैं-
(i) स्थानवाचक
(ii) कालवाचक
(iii) रीतिवाचक
(iv) परिमाणवाचक
(v) प्रश्नवाचक
(i) स्थानवाचक- यहाँ, वहाँ, जहाँ, कहाँ, आगे, पीछे।
(ii) कालवाचक- आज, कल, परसो, अब, जब, कब, तब, अभी।
(ii) रीतिवाचक-ऐसे, वैसे, कैसे, अचानक, धीरे, अवश्य, सचमुच, बेशक, हाँ, जी, ठीक, सच, इसीलिए, तो, ही, भी, मात्र, भर, तक इत्यादि ।
(iv) परिमाणवाचक – बहुत, बड़ा, भारी, बिल्कुल, खूब।
(v) प्रश्नवाचक – क्यों, क्या, किसलिए, किस कारण।
क्रियाविशेषणों का प्रयोग-
कुछ क्रियाविशेषण ऐसे होते हैं, जिनके विशेष अर्थ होते हैं । वाक्यों में इनके प्रयोग से ही विशेष अर्थ का बोध होता है। दैनिक जीवन में इनका प्रयोग होता रहता है। लेकिन, इनके अर्थ की सही जानकारी न रहने के कारण इन क्रियाविशेषणों का गलत प्रयोग हो जाता है। यहाँ हम कुछ युग्म क्रियाविशेषण के उदाहरण दे रहे हैं, जो साधारण तौर पर एकार्थक प्रतीत होते हैं।
तब,फिर ये कालवाचक क्रियाविशेषण हैं, जिनका प्रयोग तीनों कालों में होता है ।
किन्तु तब का प्रयोग वहाँ होता है, जहाँ कोई बात तुरंत हुई हो और फिर का प्रयोग वहाँ होता है, जहाँ कुछ समय बीत जाने का बोध होता है
जैसे— तब तब उसने मुझे देखा।
जब वह आया, तब वह गया ।
जब गाड़ी छूट गईं, तब आप आये।
फिर फिर वह कहने लगा।
फिर आप बोलने लगे ?